सरल–काव्यांजलि ब्लॉग
क्रान्तिकारी लेखन करनेवाले प्रोफेसर श्रीकृष्ण सरल के साहित्य में सर्वत्र देश की मिट्टी बोलती है
महाकवि श्रीकृष्ण सरल का महाकाव्य ‘तुलसी–मानस’ : रामचरित मानस का पुनर्सृजन ही है
उज्जैन में माँ विद्यावती द्वारा शहीद भगत सिंह पर विश्व के प्रथम महाकाव्य का ऐतिहासिक लोकार्पण
श्रीकृष्ण सरल कृत प्रबंध काव्य ‘अजेय सेनानी–चंद्रशेखर आज़ाद’ राष्ट्र चेतना का जीवंत अभिलेख
स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी साहित्य की भूमिका- विभिन्न साहित्यकारों के परिप्रेक्ष्य में
मिटी जा रही जाति किंतु, तुम भूल रहे हो भूलों में
एक जाति-वैद्य के हवाले से
क्रांतिकारियों का शहज़ादा : अशफ़ाक़-उल्ला खा़ँ
श्रीकृष्ण सरल के काव्य की कालजयी अभिप्रेरणाएँ
गीत : हम कल का इतिहास लिखेंगे
महाकवि श्रीकृष्ण सरल की दृष्टि में सांस्कृतिक चेतना ही साहित्य को जन-उपकारक बनाती है
श्रीकृष्ण सरल ने राष्ट्रीय-संत के समान लालसाविहीन जीवन जिया था
राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल : साहित्य एवं लोकमानस की शुभकामनाएं ही उनकी धरोहर रही है
श्रीकृष्ण सरल के लेखन की प्रतिबद्धता विचारधारा से नहीं आंतरिक ईमानदारी और मानवीय मूल्यों से रही है
आजाद हिंद फौज के राणा सांगा - कैप्टन मनसुखलाल का साक्षात्कार
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