
राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल
विश्व में क्रांति व अध्यात्म पर सर्वाधिक महाकाव्यों के रचयिता, देश के गौरव एवं मध्यप्रदेश में जन्मे राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल ने अपना संपूर्ण जीवन भारत की स्वाधीनता पर न्योछावर होनेवाले क्रांतिकारियों को पहचान दिलाने में समर्पित कर दिया था।
सन् 1919 में मध्यप्रदेश में जन्मे सरलजी ने अवंतिकापुरी उज्जैन में 15 महाकाव्यों सहित 125 ग्रंथों की अविरल रूप से रचना की। सात दशकों तक साहित्य साधना में रत सरलजी ने सन् 2000 में मृत्युलोकाधिपति भगवान महाकाल के श्रीचरणों में स्थायी शरण प्राप्त की।
श्रीकृष्ण सरल का साहित्यिक वैशिष्ट्य
क्रांति व अध्यात्म पर विश्व में सर्वाधिक 15 महाकाव्य
गद्य और पद्य में समान लेखन – कुल 125 पुस्तकें
निजी व्यय से तथ्य संकलन के लिए 12 देशों का भ्रमण
आज़ाद हिंद फौज एवं सुभाषचन्द्र बोस पर 18 पुस्तकें
सरल-साहित्य पर 15 से अधिक शोधार्थियों को पीएच डी
सर्वाधिक बड़ा सचित्र महाकाव्य ‘क्रांति-गंगा’ 1052 पृष्ठ; पंद्रह हजार चतुष्पदियाँ
सन् 1998 में श्रीकृष्ण सरल द्वारा रचित ‘क्रांतिकारी-कोश’ भारतीय क्रांतिकारियों के विषय में विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रामाणिक गद्य-ग्रंथ के रूप में मान्य है। सरलजी ने बलिपंथियों के बलिदान को संस्थापित करने के उद्देश्य से इस पुस्तक में सन् 1757 के प्लासी युद्ध से सन् 1961 गोवा मुक्ति पर्यंत लगभग 2000 क्रांतिकारियों को 1550 पृष्ठों में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सम्मिलित किया है।
सरलजी ने प्रस्तुत विषयों पर विश्व में सर्वाधिक लिखा
महाकाव्य | क्रान्ति-साहित्य | राष्ट्रीय-साहित्य | नारी-महिमा
युवा-शक्ति | सद्भावना-साहित्य | काव्य-सूक्ति | जनजातीय क्रान्ति-साहित्य

Ms Apurva Saral Sharma Granddaughter of Rashtrakavi Shrikrishna Saral

Ms Apurva Saral Sharma Granddaughter of Rashtrakavi Shrikrishna Saral

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Bharatnatyam

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मैं अमर शहीदों का चारण, उनके यश गाया करता हूँ,
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, मैं उसे चुकाया करता हूँ।
- राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल
